ख्याति प्राप्त प्रवासी सामाजिक संस्था ‘उत्तरांचल भ्राति सेवा संस्थान’ का पांचवाँ स्थापना समारोह सम्पन्न

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सी एम पपनैं

नई दिल्ली। दिल्ली एनसीआर मे, विगत पांच वर्षो के अल्प समय में, परोपकारी कार्यो के बल, अप्रत्याशित तौर पर ख्याति के शिखर पर विराजमान, सामाजिक संस्था ‘उत्तरांचल भ्राति सेवा संस्थान’ द्वारा, नई दिल्ली आईटीओ स्थित, प्यारे लाल सभागार में, संस्था का पांचवा भव्य स्थापना समारोह, 19 जून को मुख्य अतिथि, प्रधानमंत्री कार्यालय अवर सचिव, मंगेश घिल्डियाल (आईएएस), विशिष्ट अतिथि पूर्व स्वास्थ अधीक्षक सफदरजंग हास्पिटल प्रो.(डाॅ) वी के तिवारी, प्रो.(डाॅ) शरद पांडे, राम मनोहर लोहिया हास्पिटल, अतिरिक्त निर्देशक राज्यसभा मीना कंडवाल, एसीपी दिल्ली पुलिस क्रमश: एस पी जोशी व लक्ष पांडे, सहायक कमान्डेंट बीएसएफ भगवत सिंह रावत, राजेन्द्र प्रसाद थाना प्रभारी दिल्ली पुलिस तथा दिल्ली एनसीआर की अनेकों सामाजिक संस्थाओ से जुड़े समाजसेवियों, संस्कृतिकर्मियों, व्यवसाइयों, प्रबुद्धजनो व पत्रकारों की उपस्थिति में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

पांच घण्टे तक चले, आयोजन का श्रीगणेश मुख्य, विशिष्ट व संस्था पदाधिकारियों के कर कमलो, दीप प्रज्ज्वलित व बिशन सिंह रावत (हरियाला) तथा कल्पना चौहान द्वारा प्रस्तुत, गणेश वंदना से किया गया। इस अवसर पर संस्था पदाधिकारियों व संस्था वरिष्ठ सदस्यों, हरी सिंह रावत (हरदा उत्तरांचली), हरी सिंह रजवार, विरेंद्र रावत, नरेन्द्र बिष्ट, मानवेन्द्र देव मनराल, प्रहलाद गुसाई, कुंदन सिंह बिष्ट, प्रेम बल्लभ सती, कुंदन सिंह रावत तथा भगवत सिंह रावत द्वारा, अति विशिष्ट सेवा रत्न, पंचविभूति संस्कृति कला रत्न तथा तपोभूमि सेवा रत्न सम्मान प्रदान किए गए। प्रभावशाली रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन, मोती शाह के संगीत निर्देशन व भगवंत मनराल के नृत्य निर्देशन में मंचित किया गया।

स्थापना दिवस के इस अवसर पर मुख्य अतिथि, प्रधानमंत्री कार्यालय, अवर सचिव, उत्तराखंड कैडर 2012 बैच के आईएएस अधिकारी, मंगेश घिल्डियाल द्वारा, उत्तराखण्ड की बोली-भाषा मे किए गए संबोधन में, व्यक्त किया गया,’उत्तरांचल भ्राति सेवा संस्थान’ जो कार्य विगत पांच वर्षो से निरंतर, प्रत्येक रविवार, निगम बोध घाट पर कर रही है, यह सब जनभावना से जुड़ा हुआ है। संस्था से जुड़े समाजसेवी, निरंतर घाट पर साफ-सफाई व स्वछता का जो कार्य कर रहे हैं, सराहनीय है। मंगेश घिल्डियाल द्वारा व्यक्त किया गया, उन्हे अभी दिल्ली आए हुए डेढ़ वर्ष ही हुआ है। इससे पूर्व उत्तराखण्ड के कई पहाडी जिलों के ग्रामीण क्षेत्र के सुदूर गांवो मे आयोजित कार्यक्रमों मे, पैदल चल कर जाने का अवसर मिला, जो मुझे बहुत भाता था। पैदल चलने का क्रम पूर्व मे, बाजार व स्कूल जाने का भी रहा। मेहनत, ईमानदारी, निष्ठा, समर्पण यह सब पहाड के लोगों की पहचान रही है। आज भी उत्तराखण्ड के लोग मेहनत कर प्रगति कर रहे हैं। खुशी है, यह संस्था निरंतर जो निष्ठा पूर्वक कार्य कर रही है, साफ-सफाई, स्वछता का ध्यान रख रही है, भविष्य की पीढी को प्रेरणा प्रदान कर रही है। व्यक्त किया गया, हमारी भावना रहे, हम अपने गांवो से भी जुड़े रहे। गांव का भी ध्यान रखे। गांवो मे अनेकों समस्यायें हैं। प्रवास मे रह कर भी, गांव मे रह रहे लोगों की मदद करे। चेतना जगाऐ। गांव के विकास की सोचै। अपनी संस्कृति से लगाव रखे। हमारी संस्कृति की पहचान पूरे वैश्विक फलक पर है। सभी अपना योगदान दे रहे हैं। भ्राति संस्थान का धन्यवाद कर, मुख्य अतिथि मंगेश घिल्डियाल द्वारा, अपना संबोधन समाप्त किया गया।

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स्थापना दिवस के इस अवसर पर,भ्राति सेवा संस्थान के सेवा मित्रों द्वारा, निगम बोध घाट पर किये जा रहे साफ-सफाई व स्वछता अभियान पर संस्था सदस्य अखिलेश भट्ट द्वारा निर्मित एक लघु फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया। अन्य विशिष्ट अतिथियों द्वारा भी, स्थापना दिवस पर, खचाखच भरे सभागार में बैठे दर्शकों को संबोधित कर, व्यक्त किया गया, ‘उत्तरांचल भ्राति सेवा संस्थान’ द्वारा गर्मी, सर्दी व बरसात मे नदी किनारे घाट की गन्दगी मे निरंतर किया जा रहा कार्य, अति प्रेरणा जनक है, प्रशंसनीय है। वक्ताओ द्वारा व्यक्त किया गया, कोरोना काल मे संस्था द्वारा किया गया कार्य, बडे स्तर पर सराहा गया है, जो खुशी प्रदान करता है। अधिकतर वक्ताओं द्वारा, अपनी बोली-भाषा व संस्कृति के संवर्धन व संरक्षण हेतु तथा उत्तराखंड के जनमानस से प्रवास मे, अपनी बोली-भाषा में बात करने तथा भ्राति संस्थान को निरंतर मदद करने का, आहवान किया गया।

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आयोजक संस्था पदाधिकारियों द्वारा, मुख्य व अन्य विशिष्ट अतिथियों को ‘विशिष्ट सेवा रत्न सम्मान’ के तहत अंगवस्त्र, पुष्पगुच्छ, पहाडी टोपी व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। दिल्ली पुलिस मे कार्यरत, उत्तराखंड के एक दर्जन से अधिक सेवा कर्मियों सहित, सम्मानित होने वाले अन्य समाजसेवियो व प्रबुद्ध जनो मे, गोपाल सिंह महरा, राजेन्द्र चौहान, रजनी जोशी, मंजु भदोला, मंजू नेगी, भावना बिष्ट, राजेन्द्र द्वारिका, के एन पांडे, शंकर, राजेन्द्र बिष्ट इत्यादि मुख्य रहे।

आयोजन के इस अवसर पर पहली बार, आयोजकों द्वारा, गीत-संगीत व लोकगायन के क्षेत्र मे राष्ट्रीय व वैश्विक फलक पर विख्यात व सांस्कृतिक पटल पर अमिट योगदान देने वाले, उत्तराखंड के पांच लोक विभूतियो, स्व.मोहन उप्रेती, स्व.जीतसिंह नेगी, स्व.गोपाल बाबू गोस्वामी, स्व.हीरासिंह राणा व स्व.चन्द्रसिंह राही के नाम से, ‘पंच विभूति संस्कृति रत्न सम्मान’ के तहत, स्व.मोहन उप्रेती द्वारा स्थापित, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फलक पर ख्याति प्राप्त सांस्कृतिक संस्था, ‘पर्वतीय कला केन्द्र दिल्ली’ अध्यक्ष, चंद्र मोहन पपनै, स्व.हीरासिंह राणा की धर्मपत्नी बिमला राणा, स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी, स्व,जीतसिंह नेगी व स्व.चन्द्रसिंह राही के पुत्र क्रमशः रमेश गोस्वामी, ललित सिंह नेगी व विरेंद्र सिंह नेगी को सम्मानित किया गया।

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‘पंच विभूति संस्कृति रत्न सम्मान’ से नवाजे गए अन्य सुप्रसिद्ध गायक कलाकारों मे, नैननाथ रावल, सतेंद्र फरिंडियाल, बिशन सिंह रावत (हरियाला), कल्पना चौहान, प्रहलाद महरा, विजय सैलानी, जगदीश बकरोला, मंगला रावत, शिवदत्त पंत, आशा नेगी, भुवन रावत, जनार्दन नोटियाल, मोती शाह, किशन सिंह बिष्ट, फकीरा चंद चिंनियाल तथा भगवंत मनराल को नृत्य निर्देशन के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान हेतु नवाजा गया।

सम्मानित हुए सभी लोकगायको द्वारा, लोकगीतो का गायन, भगवंत मनराल की नृत्यांगनाओ की टीम के साथ प्रभावशाली अंदाज व तालियों की गड़-गड़ाहट के मध्य मंचित किया गया। लोकगायक शिवदत्त पंत व अन्य कुछ लोकगायको द्वारा प्रस्तुत लोकगीतों मे, सभागार में बैठे श्रोतागण मस्ती भरे अंदाज में, नाचने-झूमने लगे।

आयोजन के अंतिम चरण में संस्था पदाधिकारियों द्वारा, संस्थान से जुडे सदस्यों व सहयोगियों को ‘तपो भूमि सेवा सम्मान’ के तहत, अंगवस्त्र तथा स्मृतिचिन्ह प्रदान कर, सम्मानित किया गया। आयोजित कार्यक्रम के समापन की घोषणा की गई। आयोजित स्थापना समारोह का प्रभावशाली मंच संचालन प्रसिद्ध रंगकर्मी, अखिलेश भट्ट व संस्थान सदस्य मानवेन्द्र मनराल द्वारा बखूबी किया गया।
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