सीएम-पीएम 15मिनट की तय मुलाकात सवा घंटे चली,सीएम ने कुमाऊं के लिए मांगा एम्स

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देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की। मुख्यमंत्री की प्रधानमंत्री के साथ शिष्टाचार मुलाकात करीब सवा घंटे चली।इस मुलाकात में तमाम मांगों के साथ मुख्यमंत्री धामी ने कुमाऊं में एम्स खोले जाने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रधानमंत्री से उनकी ये पहली मुलाकात थी।धामी ने उत्तराखण्ड के विकास में केन्द्र के सहयोग के लिए प्रधानमन्त्री का धन्यवाद भी व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री बनने पर धामी को बधाई देते हुए आशा व्यक्त की है कि युवा नेतृत्व में राज्य का तेजी से विकास होगा।मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को कोविड की तीसरी लहर की चेतावनी को देखते हुए राज्य सरकार की तैयारियों के बारे में अवगत कराया। साथ ही चारधाम यात्रा, कांवड़ यात्रा पर भी चर्चा की।
प्रधानमंत्री से मुख्यमंत्री की वार्ता निर्धारित मुलाकात के 15 मिनट से बढ़कर सवा घंटे तक चली जिसमें राज्य के मसलों पर गहराई से चर्चा हुई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केदारनाथ धाम में 108 करोड़ रु से अधिक लागत से दूसरे चरण के पुनर्निर्माण कार्य शुरू होने हैं। सीएम धामी ने प्रधानमंत्री से केदारनाथ धाम में दूसरे चरण के पुनर्निर्माण कार्यों के शिलान्यास/वर्चुअल शिलान्यास के लिए समय देने का अनुरोध किया है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र के सहयोग से राज्य में हेल्थ सेक्टर में सुधार के लिये अनेक महत्वपूर्ण पहल की गई हैं। एम्स ऋषिकेश उत्तराखण्ड को केन्द्र सरकार की महत्वपूर्ण देन है और कोविड महामारी से लड़ाई में इसकी बड़ी भूमिका रही है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए कुमाऊं मण्डल में भी एम्स की स्थापना का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इसके लिए भूमि उपलब्ध कराएगी। कुमाऊं में एम्स की स्थापना से विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं से क्षेत्र की जनता लाभान्वित हो सकेगी।

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मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से राष्ट्रीय महत्व की लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना के शीघ्र क्रियान्वयन के लिये आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति की स्वीकृति प्रदान करवाने का अनुरोध भी किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि 300 मेगावाट की लखवाड़ बहुद्देशीय परियोजना से यमुना नदी में जल उपलब्धता बढ़ेगी एवं इससे छह राज्यों- उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखण्ड एवं हिमाचल प्रदेश लाभान्वित होंगे। इस परियोजना को सभी स्वीकृतियां प्राप्त हैं एवं भारत सरकार के आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी की स्वीकृति मिलना ही शेष है जिसके बाद परियोजना का निर्माण कार्य प्रारम्भ किया जा सकता है।