पुस्तकों से जुड़ने की कडी़ को विस्तार दे रहा है ‘शैक्षिक दखल’
शैक्षिक दखल संवाद श्रृंखला का दूसरा दिन ‘जीवन निर्माण में पुस्तकालय की भूमिका पर केंद्रित रहा।
सत्र का संचालन करते हुए डॉ विवेक पांडेय ने शैक्षिक दखल के पुस्तकालय अभियान व पढ़ने-लिखने की सँस्कृति के विकास में शैक्षिक दखल की गतिविधियों का उल्लेख करते हुए कहा कि शैक्षिक दखल से जुड़े हुए शिक्षक अपने निजी पुस्तकालयों को सार्वजनिक करते हैं। अपने विद्यालयों में पुस्तकालयों का संचालन करते हैं। अपने विद्यार्थियों के साथ मिलकर आसपास के गांवों में पुस्तकालयों के संचालन की मुहिम चलाई जा रही है। इसी क्रम में शैक्षिक दखल के कार्यालय रानीबाग में दिनेश कर्नाटक व पिथौरागढ़ में महेश पुनेठा के निजी पुस्तकालय को सार्वजनिक किया जाना इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
प्रख्यात साहित्यकार व सम्पादक प्रियदर्शन जी के व्यक्तित्व व कृतित्व को प्रस्तुत करते हुए स्वाति मेलकानी ने उनके घनघोर पढ़ाकू जीवन को प्रस्तुत करते हुए उन्हें वक्तव्य के लिए आमंत्रित किया।
अपने व्याख्यान में प्रियदर्शन जी ने अपने जीवन के शुरुवाती वर्षों में राम कृष्ण मिशन व ब्रिटिश पुस्तकालय से मिली किताबों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि किताबें न होती तो उनका जीवन अधूरा, सपाट व नीरस होता। उन्होंने कहा कि किताबें जीवन मे अन्य महत्वपूर्ण चीजों की तरह ही हैं। उनके बिना एक विश्लेषणात्मक मस्तिष्क नहीं बन सकता। इसलिए मनुष्य बनने के लिए पढ़ना, समझना व सीखना जरूरी है। यह अपने जगत से संवेदित होने की प्रक्रिया है।
अपने ववक्तव्य से पहले प्रियदर्शन जी ने शैक्षिक दखल के पुस्तकालयों के अनुभवों को प्रस्तुत करते हुए नए अंक का विमोचन किया। दिनेश कर्नाटक ने अपने अतिथि वक्ता का आभार प्रकट करते हुए वर्ष 2021 के ‘बाल पाठक प्रोत्साहन योजना’ से पुरष्कृत पांचों पाठकों के नाम की घोषणा की। जिसके तहत खरसडा जिला टिहरी गढ़वाल से मोहित, नानकमत्ता पब्लिक स्कूल से कृति अटवाल, गायित्री, दीपिका व करणवीर को पुरुष्कार स्वरूप पुस्तकों का एक-एक सेट प्रदान किया गया। पुरष्कृत पाठकों के अनुभवों को सुनते हुए अध्ययन के आत्मविश्वास को सभी ने सराहा। युवाओं के अनुभवों से यह सीखने को मिला कि पुस्तकों से जुड़ने की प्रक्रिया किस तरह गति पकड़ती है और बच्चे किताबों की दुनिया मे आनंदित होते हैं।
अंत मे डॉ दिनेश जोशी ने सार संक्षेप प्रस्तुत करते हुए सुझाव दिया कि शैक्षिक दखल पत्रिका में बच्चों के पढ़ने-लिखने के अनुभवों को भी स्थान दिया जाना चाहिए। सत्र के समापन की घोषणा करते हुए उन्होंने 3 जुलाई के अंतिम सत्र में शाम तीन बजे से जुड़ने की अपील की जिसमें शैक्षिक दखल की ई पत्रिका की शुरुवात व शैक्षिक सुधारों के अभियान पर बातचीत की जाएगी।
सत्र में चकमक पत्रिका के पूर्व संपादक राजेश उत्साही, बांदा से प्रमोद दीक्षित, इंद्रमणि भट्ट, मोहन चौहान, कमलेश अटवाल, रेखा चमोली, प्रदीप बहुगुणा, मनोहर चमोली, चिन्तामणि जोशी सहित दर्जनों शिक्षकों ने गूगल मीट, फेसबुक लाइव व यू ट्यूब के माध्यम से शिरकत की।
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