सरकार उद्योगों के नाम पर दिए ज़मीन के पट्टे निरस्त करे:तिवारी
रानीखेत:-उत्तराखंड विधि आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष दिनेश तिवारी एडवोकेट ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से माँग की है कि पहाड़ों में उद्योगों और स्कूल कालेजों के नाम पर आवंटित सभी भूमि के पट्टों को निरस्त करें ।कहा कि पहाड़ों में उद्योग और उच्च शिक्षा और पेरामेडिकल शिक्षा के नाम पर आवंटित या क्रय की गयी भूमि पर आज तक कोई उद्योग या इन्स्टिट्यूशन नहीं खोला गया है ।कहा कि यह पहाड़वालों के साथ सरकार की सरासर धोखाधड़ी है कि औद्योगिकरण के नाम पर बेची गयीं या सरकार के द्वारा लीज़ पर दी गयी भूमि पर आज तक कोई भी उद्योग नहीं लगाया गया है ।सवाल किया कि ०६ अक्टूबर २०१८ को त्रिवेंद्र रावत सरकार ने उत्तरप्रदेश ज़मींदारी विनाश एवम भूमि सुधार अधिनियम१९५० में जो संशोधन का विधेयक पारित करवाया उसका पहाड़ों और पहाडवासियों को क्या फ़ायदा मिला ।
उन्होनें कहा कि सरकार यह भी बताये कि निवेशकों और निवेश के नाम पर पर्वतीय क्षेत्रों में ग़रीब किसानों की कृषि भूमि की बिक्री का रास्ता खोलकर पहाड़ में उद्योग क्यों नहीं लगे कहा कि पर्वतीय जिलों में किसी भी शहर गाँव में कोई भी उद्योग नहीं लगा है चुनौती दी कि राज्य में निवेश का माहौल बनाने और निवेशकों को उद्योग के लिए आकर्षित करने में प्रदेश सरकार विफल रही है आरोप लगाया कि औद्योगिकरण के नाम पर पहाड़ की ज़मीनें बाहरी लोगों को सौंप दी गयी है और पहाड़ के ग़रीब लोगों को भूमिहीन बना दिया गया है कहा कि सरकार की इस आत्मघाती नीति से पहाड़ों की अपनी पहचान संस्कृति अर्थव्यवस्था नष्ट होने के कगार पर है ।कहा कि भूमि की बिक्री पर लगे प्रतिबन्धों को हटा देने से पहाड़ों से पलायन की रफ़्तार बढ़ गयी है आरोप लगाया की प्रदेश सरकार ग्रामीण सभ्यता और अर्थव्यवस्था को बचाने में पूरी तरह विफल है।उन्होंने माँग की कि प्रदेश सरकार अविलंब अध्यादेश लाकर ०६ अक्टूबर २०१८ को उत्तरप्रदेश ज़मींदारी विनाश एवम भूमि सुधार अधिनियम १९५० में किये गये पहाड़ विरोधी संशोधनों को निरस्त करे और इस संशोधन के बाद लागू की गयी धारा १४३( क) और १५४(२) पर रोक लगाये।