धामी सरकार ने इंटर्न डाक्टर्स का स्टाईपेंड बढा़या,उच्च न्यायालय से पडी़ थी फटकार

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देहरादूनः- आखिरकार पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने राज्य के मेडिकल कॉलेजों के एमबीबीएस इंटर्न डॉक्टरों का स्टाईपेंड 7500 रु/मासिक से बढ़ाकर 17000 रु करने का फैसला कर ही लिया है। इस मामले को लेकर न केवल युवा डाॅक्टर्स हड़ताल कर रहे थे बल्कि उच्च न्यायालय ने भी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को फटकार लगाई थी।इस मामले मे अगली सुनवाई 28 जुलाई को है जिसमें सरकार को जवाब देना है उससे पहले ही सरकार ने स्टाईपेंड बढा़ना उचित समझा।

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सच यह है कि अन्य राज्यों की तुलना में मामूली स्टाईपेंड दे रही उत्तराखंड सरकार उच्च न्यायालय की चाबुक पड़ने के बाद ही सीधे रास्ते आई है ,अगर ऐसा नहीं ,तो फिर सरकार युवा डाक्टर्स की मांग और प्रदर्शन को अनदेखा क्यों करती रही।दरअसल उच्च न्यायालय के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने युवा डॉक्टर्स के स्टाईपेंड का मुद्दा अपनी याचिका के ज़रिए उच्च न्यायालय में उठाया था । अभिजय नेगी ने अपनी याचिका में कहा कि जहां पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में एमबीबीएस इंटर्न डॉक्टरों को 17000 रु/मासिक और उत्तराखंड के साथ बने छत्तीसगढ़ में 2016 से ही युवा डॉक्टर्स को 17,900 रु/मासिक स्टाईपेंड दिया जा रहा है, वहीं उत्तराखंड में 7500 रु/मासिक स्टाइपेंड मिल रहा, जो सबसे कम है। याचिका में न्यायालय से निवेदन किया गया था कि राज्य सरकार को निर्देश दिए जाएं कि वह फ्रंटलाइन कोरोना वॉरिअर्स को स्टाइपेंड बढाकर प्रोत्साहित करे।

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इस पर नैनीताल उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस राघवेन्द्र सिंह चौहान और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की बेंच ने 7 जुलाई को स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी के माध्यम से निर्देश दिए। सरकार को उच्च न्यायालय को 28 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई में स्टाईपेंड वृद्धि पर जवाब भी देना है। देहरादून के अलावा श्रीनगर और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेजों के आंदोलित 330 एमबीबीएस इंटर्न डॉक्टर्स 23,500 रु स्टाईपेंड की मांग कर रहे थे।

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