अगले माह खत्म हो रहा 56 छावनी बोर्डों का कार्यकाल,कुछ छावनियों के नागरिक क्षेत्र को नगर पालिकाओं में विलय की तैयारी, लोक सभा में आया जवाब

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विमल सती

रानीखेत: देश की 56 छावनी परिषदों में बोर्ड भंग होने के बाद गठित वैरी बोर्ड का छह माही कार्यकाल अगले माह 10 अगस्त 2022 को समाप्त होने जा रहा है जिसमें रानीखेत छावनी भी शामिल है। ऐसे में छावनी बोर्डों का चुनाव कराना संसद के चालू सत्र में छावनी परिषद विधेयक आने के बाद प्रस्तावित है,क्यों कि विधेयक में छावनी बोर्ड का उपाध्यक्ष सीधे नागरिकों द्वारा चुनने की व्यवस्था दी जा रही है।वहीं कुछ छावनी परिषदों के नागरिक क्षेत्र को छांट कर समीपवर्ती नगर पालिकाओं में विलय करने की योजना भी तैयार की जा रही है।
29 जुलाई 2022 को लोक सभा में एक प्रश्न के जवाब में यह जानकारी दी गई।जानकारी के अनुसार देश में 56 छावनी बोर्डों के भंग होने के बाद गठित वैरी बोर्डों का यह माह का कार्यकाल 10 अगस्त 2022 को समाप्त हो रहा है वहीं छावनी बोर्ड जम्मू,बादामगढ़,रामगढ़ में 2 दिसम्बर 2022 को, खासयोल में 5 दिसम्बर2022 को और वहीं मेरठ छावनी बोर्ड में 12 जनवरी 2023 व पंचमढ़ी में 29 नवम्बर 2023 को कार्यकाल समाप्त होगा। ऐसे में छावनी बोर्डों का आम चुनाव संसद के वर्तमान सत्र में आ रहे छावनी परिषद विधेयक 2022 के बाद प्रस्तावित है क्यों कि इस विधेयक में उपाध्यक्ष का चुनाव सीधे तौर पर कराने सहित कुछ बदलाव लाए जा रहे हैं। आपको बताते चलें कि छावनी बोर्डों के चुनाव में विलम्ब होने के कारण छावनियों में विकास कार्य तो प्रभावित हुए ही हैं नागरिक हितों पर भी बुरा असर पड़ा है।

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इधर लोकसभा में यह भी बताया गया है कि देश की छावनियों में कुछ छावनियों के नागरिक आबादी क्षेत्र को छांट कर निकट की नगर पालिकाओं में विलय किए जाने की रुपरेखा संबंधित राज्यों के साथ मिलकर बनाई जा रही है। ऐसे में पड़ोसी नगर पालिकाओं के मुख्य सुविधाओं के साथ विलय होकर न सिर्फ एकरूपता आएगी अपितु यह स्थानीय प्रशासन और प्रक्रिया में निवास करने का नागरिकों के लिए बड़ा मामला होगा।
लोक सभा में आए इस उत्तर के बाद दशकों से छावनी परिषदों के भीतर कठोर कानूनों में जकड़ी,नगर पालिका की मांग करती आई नागरिक आबादी में छावनी परिषद से छुटकारा पाने की बारीक सी उम्मीद जगी है।जबकि अभी ये तय नहीं है कि किन छावनी परिषदों की नागरिक आबादी को नगर पालिकाओं में समाविष्ट करने के लिए काटा -छांटा जाएगा और किन छावनियों में नए छावनी बोर्ड का चुनावी फ़रमान जारी होगा।माना जा रहा है छावनी विधेयक2022 संसद में पारित होने के बाद ही रक्षा मंत्रालय की ओर से ऊहापोह के इस धुंधलके को साफ किया जाएगा।