उच्च न्यायालय में सरकार की कमजोर पैरवी करने से नाराज़ सरकार ने अपने दो उप महाधिवक्ता और ब्रीफ होल्डर हटाए

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बड़ी खबर:- हाई कोर्ट में सरकार से जुड़े मामलो में कमजोर पैरवी पर सरकार ने जताई नाराजगी उप महाधिवक्ता शेर सिंह अधिकारी.
उप महाधिवक्ता अमित भट्ट
और ब्रीफ होल्डर सिद्धार्थ बिष्ट को तत्काल प्रभाव से हटाया।

फौजदारी मामलों से संबंधित रिट याचिकाएं / जमानत प्रार्थना पत्रों इत्यादि के सम्बन्ध I

महोदय,

उपरोक्त विषय के सम्बन्ध में स्पष्ट करना है कि मा० उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय, नैनीताल द्वारा कई फौजदारी मामलों से संबंधित रिट याचिकाएं / जमानत प्रार्थना पत्रों इत्यादि में राज्य की तरफ से प्रभावी पैरवी नहीं किए जाने के संबंध में घोर अप्रसन्नता व्यक्त की गई है। अतः उच्च स्तर से प्राप्त निर्देशों के क्रम में निम्नांकित दिशा-निर्देशों का पालन करना सुनिश्चित करें:

  1. फौजदारी मामलों से संबंधित रिट याचिकाएं / जमानत प्रार्थना पत्रों आदि में जिस भी विधि अधिकारी को शासकीय अधिवक्ता द्वारा वाद में राज्य का पक्ष रखने हेतु प्रथम बार नामित किया गया हो, उसे अपरिहार्य परिस्थितियों को छोडकर किसी भी स्थिति में परिवर्तित नहीं किया जाएगा, जिससे उक्त वाद में पैरवी करने वाले संबंधित विभाग के समक्ष भ्रम की स्थिति उत्पन्न न हो तथा जो भी विधि अधिकारी वाद की स्थिति से भिज्ञ हो वे ही अग्रिम नियत तिथियों में राज्य का पक्ष रखे। विधि अधिकारी द्वारा अपने कर्तव्यों के निर्वहन में किसी प्रकार की लापरवाही किए जाने की स्थिति में यदि मा० उच्च न्यायालय द्वारा राज्य के पक्ष में कोई प्रतिकूल आदेश पारित किया जाता है तो इसके लिए संबंधित विधि अधिकारी स्वयं उत्तरदायी होगें।
  2. संबंधित विधि अधिकारी का यह दायित्व होगा कि जिन मामलों में उन्हें राज्य की ओर से नामित किया गया है, उनमें मा० उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय, नैनीताल के समक्ष नियत तिथि से पूर्व राज्य के संबंधित विभाग जैसे- पुलिस, राजस्व पुलिस इत्यादि से प्रतिशपथपत्र / पूरक शपथपत्र इत्यादि की सूचना प्रेषित कर प्रतिशपत्र इत्यादि मा०उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय, नैनीताल के समक्ष दायर करवाना सुनिश्चित करेंगें। यदि वाद में प्रतिशपथपत्र इत्यादि दाखिल करने में राज्य के किसी विभाग जैसे- पुलिस विभाग इत्यादि द्वारा कोई लापरवाही की जाती है तो उक्त विधि अधिकारी संबंधित जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक / पुलिस अधीक्षक एवं गृह सचिव को सूचित करेंगें ।
  3. शासकीय अधिवक्ता को निर्देशित किया जाता है कि जिन फौजदारी मामलों में पुलिस / राजस्व पुलिस को पक्षकार बनाया जाता है, ऐसे प्रत्येक मामलें में शासकीय अधिवक्ता अपर मुख्य सचिव, गृह / सचिव गृह एवं पुलिस अधीक्षक / वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को ई-मेल / फैक्स से सूचित करेंगें तथा इस संबंध में एक रजिस्टर (पंजिका) कार्यालय शासकीय अधिवक्ता में पोषित की जाएगी जिन मामलों में दिन प्रतिदिन प्रविष्टि की जाएगी।
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महोदय,

उपरोक्त विषय के सम्बन्ध में स्पष्ट करना है कि मा० उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय, नैनीताल द्वारा कई फौजदारी मामलों से संबंधित रिट याचिकाएं / जमानत प्रार्थना पत्रों इत्यादि में राज्य की तरफ से प्रभावी पैरवी नहीं किए जाने के संबंध में घोर अप्रसन्नता व्यक्त की गई है। अतः उच्च स्तर से प्राप्त निर्देशों के क्रम में निम्नांकित दिशा-निर्देशों का पालन करना सुनिश्चित करें:

1. फौजदारी मामलों से संबंधित रिट याचिकाएं / जमानत प्रार्थना पत्रों आदि में जिस भी विधि अधिकारी को शासकीय अधिवक्ता द्वारा वाद में राज्य का पक्ष रखने हेतु प्रथम बार नामित किया गया हो, उसे अपरिहार्य परिस्थितियों को छोडकर किसी भी स्थिति में परिवर्तित नहीं किया जाएगा, जिससे उक्त वाद में पैरवी करने वाले संबंधित विभाग के समक्ष भ्रम की स्थिति उत्पन्न न हो तथा जो भी विधि अधिकारी वाद की स्थिति से भिज्ञ हो वे ही अग्रिम नियत तिथियों में राज्य का पक्ष रखे। विधि अधिकारी द्वारा अपने कर्तव्यों के निर्वहन में किसी प्रकार की लापरवाही किए जाने की स्थिति में यदि मा० उच्च न्यायालय द्वारा राज्य के पक्ष में कोई प्रतिकूल आदेश पारित किया जाता है तो इसके लिए संबंधित विधि अधिकारी स्वयं उत्तरदायी होगें।

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2. संबंधित विधि अधिकारी का यह दायित्व होगा कि जिन मामलों में उन्हें राज्य की ओर से नामित किया गया है, उनमें मा० उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय, नैनीताल के समक्ष नियत तिथि से पूर्व राज्य के संबंधित विभाग जैसे- पुलिस, राजस्व पुलिस इत्यादि से प्रतिशपथपत्र / पूरक शपथपत्र इत्यादि की सूचना प्रेषित कर प्रतिशपत्र इत्यादि मा०उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय, नैनीताल के समक्ष दायर करवाना सुनिश्चित करेंगें। यदि वाद में प्रतिशपथपत्र इत्यादि दाखिल करने में राज्य के किसी विभाग जैसे- पुलिस विभाग इत्यादि द्वारा कोई लापरवाही की जाती है तो उक्त विधि अधिकारी संबंधित जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक / पुलिस अधीक्षक एवं गृह सचिव को सूचित करेंगें ।

3. शासकीय अधिवक्ता को निर्देशित किया जाता है कि जिन फौजदारी मामलों में पुलिस / राजस्व पुलिस को पक्षकार बनाया जाता है, ऐसे प्रत्येक मामलें में शासकीय अधिवक्ता अपर मुख्य सचिव, गृह / सचिव गृह एवं पुलिस अधीक्षक / वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को ई-मेल / फैक्स से सूचित करेंगें तथा इस संबंध में एक रजिस्टर (पंजिका) कार्यालय शासकीय अधिवक्ता में पोषित की जाएगी जिन मामलों में दिन प्रतिदिन प्रविष्टि की जाएगी।

शासकीयअधिवक्ता को निर्देशित किया जाता है कि वे अपने अधीन कार्य करने वाले समस्त विधि अधिकारियों को यथासम्भव रोस्टर के अनुसार समान मात्रा में फौजदारी मामलों में प्रतिशपथपत्र इत्यादि दायर करने हेतु नामित करेंगें ताकि प्रतिशपथपत्र दायर करने में होने वाले विलम्ब को समाप्त किया जा सके । यद्यपि शासकीय अधिवक्ता को यह अधिकार होगा कि वे किसी विशेष मामलें / वाद में तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए अपने अधीन किसी भी विधि अधिकारी को राज्य की ओर से पैरवी करने हेतु नामित कर सकते हैं।

5. शासकीय अधिवक्ता को निर्देशित किया जाता है कि वे राज्य की ओर से मा० उच्च न्यायालय में लगाए जाने वाले प्रतिशपथ पत्र के विलम्ब इत्यादि की समीक्षा करने हेतु अपने अधीनस्थ समस्त विधि अधिकारियों की मासिक बैठक प्रत्येक माह के प्रथम सप्ताह में करना सुनिश्चित करेंगें तथा इस संबंध में अपने अधीनस्थ समस्त विधि अधिकारियों के कार्यों का पर्यवेक्षण करते हुए उन्हें अपना मार्गदर्शन प्रदान करेंगें। उक्त समीक्षा बैठक की एक प्रति अनिवार्य रूप से सचिव, न्याय विभाग, उत्तराखण्ड शासन एवं महाधिवक्ता कार्यालय को प्रत्येक माह की 10 तारिख तक प्रेषित की जाएगी। अतः आपसे अपेक्षित है कि उपरोक्त दिशा-निर्देशों का अक्षरशः अनुपालन करना सुनिश्चित करें।