भारतीय सेना को शिफ्ट नहीं किए जाने से है नाराजचीन सीमा के लोग नहीं चाहते है, बलाती फॉर्म और खलिया टॉप में दख़लमुनस्यारी -बलाती फार्म भारतीय सेना को शिफ्ट नहीं किए जाने से सीमांत के पंचायत प्रतिनिधि इस कदर नाराज है, कि उन्होंने लोकसभा चुनाव के बहिष्कार की घोषणा के बाद रणनीति को कारगार बनाने के अपने अभियान का आज खुलासा किया। उत्तराखंड में यह सबसे बड़ा चुनाव बहिष्कार होगा, जहां 25 ग्राम पंचायतो के 12 हजार से अधिक मतदाता अपने मतों का प्रयोग नहीं करेंगे।
अल्पाइन हिमालय में स्थित पर्यावरणीय दृष्टि से अति संवेदनशील से बालती फॉर्म तथा खलिया टॉप को बचाने के लिए चीन सीमा से लगे 25 ग्राम पंचायतों की जनता इस बार लोकसभा चुनाव में वोट नहीं देगी। चुनाव बहिष्कार के अभियान को सफल बनाने के लिए 11 अप्रैल से घर-घर संपर्क अभियान शुरू किया जाएगा। इसकी सूचना जिला निर्वाचन अधिकारी पिथौरागढ़ को आज ईमेल के द्वारा दे दी गई है।
इस अभियान के संयोजक तथा जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने बताया कि अल्पाइन हिमालय क्षेत्र में स्थित बालती फॉर्म तथा खालिया टॉप में 1999 से भारतीय सेना की घुसपैठ जारी है। तत्कालीन उप जिलाधिकारी द्वारा सीमांत के पंचायत प्रतिनिधियों की आपत्ति पत्र पर सेना को विस्तार करने से रोकने का आदेश भी दिया गया था।
कोविड 19 का लाभ उठाते हुए भारतीय सेना ने इस क्षेत्र में अपना विस्तार कर दिया। भारतीय सेना द्वारा क्षेत्र में आने से पहले स्थानीय जनप्रतिनिधियों से कोई बातचीत या अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं लिया गया। उन्होंने कहा कि इस अल्पाइन हिमालय क्षेत्र मे मुनस्यारी के 25 ग्राम पंचायतों का पर्यावरणीय भविष्य जुड़ा हुआ है।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के पानी से इनमें से अधिकांश ग्राम पंचायतों की प्यास बुझती है।
पेयजल स्रोतों को सेना के द्वारा दूषित कर दिया गया है।
इस क्षेत्र के जैव विविधता को भी नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि हम केवल सेना को शिफ्ट किए जाने की मांग कर रहे है।
5 वर्षों हमारे द्वारा दिए गए ज्ञापनों पर जिला प्रशासन ने एक बैठक तक नहीं बुलाई।
उन्होंने कहा कि हम अपने भावी पीढ़ी के लिए इस क्षेत्र के अति संवेदनशील पर्यावरण को ऐसे ही नष्ट नहीं होने दे सकते है।
उन्होंने कहा कि भारतीय सेना को शिफ्ट किए जाने के लिए जमीन का सुझाव भी हमने दिया है। उस पर अमल करने की जगह अल्पाइन हिमालय में सेना प्रशासन के सहयोग से लगातार अपना विस्तार कर रही है। जो मुनस्यारी के भविष्य के लिए खतरनाक संकेत है।
उन्होंने कहा कि वन विभाग, कुमाऊं मंडल विकास निगम, खेल विभाग, उद्यान विभाग, पर्यटन विभाग की गतिविधियों को भी इस क्षेत्र में सीमित करना आवश्यक है। इनके द्वारा भी किए जा रहे कच्चे तथा पक्के निर्माणों पर स्थाई रूप लगाए जाने की आवश्यकता है।
इसके लिए भी जिला प्रशासन को कठोर कदम उठाने के लिए ज्ञापन देखते-देखी हम था भर चुके है।
उन्होंने कहा कि बहिष्कार को सफल बनाने के लिए तय किया गया है कि
11 अप्रैल को ग्राम पंचायत बूंगा, सरमोली, मल्ला घोरपट्टा, तल्ला घोरपट्टा, बनियागांव, कवाधार 12 अप्रैल को पापड़ी, सेरा सुराईधार, दराती, खसियाबाडा 13 अप्रैल को जैती, सुरिंग, जलथ, दरकोट, दुम्मर 14 अप्रैल को हरकोट, धापा, लास्पा, मिलम 15 अप्रैल को क्वीरीजिमिया, सांईपोलू, पातो 16 अप्रैल को रालम, बुई, ढिमढिमिया मैं घर घर जनसंपर्क तथा बैठा आयोजित कर इस अभियान को सफल बनाने के लिए वातावरण का सृजन किया जाएगा।
17 अप्रैल को तहसील मुख्यालय स्थित शास्त्री चौक में इन मांगों के पक्ष में एक विशाल जनसभा आयोजित की जाएगी। जनसभा के माध्यम से आम जनता से लोकसभा चुनाव में वोट नहीं देने की अंतिम अपील की जाएगी।