उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उत्तराखंड की चार विभूतियों को ‘अमृत अवार्ड-2022’ से किया सम्मानित

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सी एम पपनैं

नई दिल्ली। आजादी के अमृत महोत्सव पर संगीत नाटक अकादमी भारत सरकार द्वारा घोषित ‘अमृत अवार्ड- 2022’ भारत के उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के कर कमलों से विभिन्न विधाओं के 75 वर्ष की आयु से ऊपर के 86 वृद्ध कलाकारों को प्रदान किए गए। इनमें उत्तराखंड की चार विभूतियां भी सम्मानित हुईं।

शनिवार 16 सितंबर को प्लेनरी हाल विज्ञान भवन में यह भव्य सम्मान समारोह आयोजित किया गया। समारोह में केंद्रीय कानून और न्याय (स्वतंत्र प्रभार) तथा संस्कृति एवं संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल, केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी तथा अध्यक्ष संगीत नाटक अकादमी डाॅ संध्या पुरेचा की की गरिमामयी उपस्थिति रही।

इस अवसर पर संगीत नाटक अकादमी अध्यक्षा डाॅ संध्या पुरेचा द्वारा मुख्य अतिथि देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड व संस्कृति विभाग से जुडे केन्द्रीय राज्य मंत्रियों व सम्मानित किए जा रहे वृद्ध कलाकारों व उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया गया तथा सम्मान पा रहे कलाकारों को बधाई दी गई। उन्होंने बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव पर देश के विभिन्न शहरों व गांव स्तर पर देश भक्ति से जुड़े नाटक व अन्य सांस्कृतिक आयोजन युवा पीढ़ी को कला बोध जगाने के लिए अकादमी द्वारा आयोजित किए गए। आज जिन कलाकारों को सम्मान दिया जा रहा है सभी अपनी कला के विशेषज्ञ हैं। सभी का विभिन्न कलाओं के संवर्धन में बड़ा योगदान रहा है।

संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल व मीनाक्षी लेखी ने अपने संबोधन में कहा कि कला का ज्ञान गुरुओं द्वारा बढ़ाया गया है। देश की आस्था को कलाकारों द्वारा ही जोड़ा व समृद्ध किया गया है। भारत की लोककला को कलाकारों ने जीवित रखा है। कहा कि, अमृत महोत्सव का 15 अगस्त 2023 को समापन हो गया था हम कला के क्षेत्र मे कहां तक चले हैं, यह समीक्षा करने का अवसर है।

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केन्द्रीय मंत्रियों द्वारा कहा गया कि अमृत काल में आज वृद्ध कलाकारों को मिले सम्मान उपलब्धि के साथ-साथ चंद्रयान व महिलाओं द्वारा खेलों में जो कारनामा किया गया है अमृतकाल का गौरव है। हमें विरासत पर गर्व करना चाहिए।

उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सम्मानित हुए कलाकारों व अकादमी को बधाई देते हुए कहा कि, ये काम करना आसान नहीं है। अकादमी टीम ने हकीकत को पहचाना है, सपने को साकार किया है। आज का दिन कभी नहीं भूलूंगा, इतनी विभूतियों का आशीर्वाद दिल से, संस्कृति से दिमाग से कभी नही मिला था। एक आशीर्वाद काफी होता है, आज इतनों का आशीर्वाद मिला। आज जितना सम्मान किया गया है, भारत की संस्कृति सम्मानित होती है। आज सम्मानित हुए कलाकारों को पहले किसी ने नही पहचाना था। देश की संस्कृति मे पहले सिर्फ पद्म सम्मान ही थे। विगत दस वर्ष मे अवार्ड उन्हे दिए गए जो उस सम्मान के हकदार थे।

उपराष्ट्रपति ने व्यक्त किया, 1989 मे केन्द्रीय मंत्री बना था आज कल्पना साकार हो रही है। यह उपलब्धि मील का पत्थर है। जिन्होंने हमारी संस्कृति को संवारा, जो गुदडी के लाल हैं, उन्हे किसी ने नही पहचाना। आज पहचाना गया है। आज हर घर तिरंगा है। तिरंगा चांद पर भी है।

कहां कि विश्व बैंक ने कहा है, जो काम भारत मे कई दशकों मे होना था छह वर्षों मे हो गया है। 75 वर्ष में कभी अभिनंदन नही हुआ, आज हो रहा है। आज सब संभव है। पांच हजार साल की हमारी विरासत है, हम उसी राह चल पडे हैं। विगत महीनों भारत में आयोजित जी 20 मे हमारी संस्कृति की झलक देख दुनिया के नेता अचंभित थे।

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व्यक्त किया गया, जिस कला पर सदियों तक आक्रमण होता रहा उसको हमारे सम्मानित कलाकारों ने जीवित किया, संवर्धन किया है। हमे अपने कलाकारो की इज्जत करनी चाहिए, मदद करनी चाहिए, भारत सरकार विभिन्न स्कीमो द्वारा कलाकारों की मदद कर रही है। भारतीयता से ऊपर कुछ नहीं है, व्यक्त कर उपराष्ट्रपति ने अपना संबोधन समाप्त किया।

भारतीय रंगमंच, नृत्य गीत-संगीत, अभिनय व रंगमंच विधा के विविध क्षेत्रों मे अपना जीवन अर्पित कर देश की लोक संस्कृति व लोक कला का संरक्षण व संवर्धन करने वाले देश के विभिन्न राज्यो के कलाकारों को संगीत नाटक अकादमी भारत सरकार द्वारा गठित व दिल्ली के द अशोक मे आयोजित हुई निर्णायक मंडल द्वारा 6 से 8 नवम्वर 2022 को सर्वसम्मति से लिए गए निर्णय के आधार पर आजादी के 75वे वर्ष पर मनाऐ गए अमृत महोत्सव के तहत उक्त सम्मान प्रदान करने के लिए देश के विभिन्न राज्यो के 86 वृद्ध कलाकारों को ‘अमृत अवार्ड- 2022’ के लिए चुना गया था। अवार्ड आयोजन का समय बीतते दो वृद्ध कलाकारों का देहांत हो गया था।

आजादी के अमृत महोत्सव पर उक्त सम्मान के तहत प्रशस्ति पत्र व एक लाख रुपया प्रदान करने हेतु उन कलाकारो का चयन किया गया था, जिन कलाकारों द्वारा अपना सम्पूर्ण जीवन गीत, संगीत व नृत्य विधा के संवर्धन व संरक्षण में लगाया हुआ था। 75 वर्ष की आयु तक कोई भी, किसी भी प्रकार का प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त नहीं हो सका था।

संगीत नाटक अकादमी भारत सरकार, ‘अमृत अवार्ड 2022’ प्राप्त करने वाले उत्तराखंड के चार कलाकारों मे भैरब दत्त तिवारी को उत्तराखंड के लोकसंगीत व नृत्य पर। जगदीश ढोंडियाल को अंचल के लोकसंगीत पर। नारायण सिंह बिष्ट को जागर गायन व वादन पर तथा जुगल किशोर पैठशाली को उत्तराखंड की विविध लोक सांस्कृतिक विधाओ पर निरंतर कार्य करने हेतु ‘अमृत अवार्ड-2022’ संगीत नाटक अकादमी भारत सरकार द्वारा उप राष्ट्रपति के कर कमलो प्रदान किए गए।

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‘अमृत अवार्ड-2022’ प्राप्त भैरब दत्त तिवारी उत्तराखंड की राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फलक पर ख्याति प्राप्त सांस्कृतिक संस्था ‘पर्वतीय कला केन्द्र दिल्ली’ से विगत, 56 वर्षों से जुडे रहे हैं। उत्तराखंड के लोकसंगीत व लोकनृत्यों का गहरा अनुभव रखते है। 1983 व 1988 मे भारतीय सांस्कृतिक सम्बंध परिषद भारत सरकार के सौजन्य से विश्व के आधा दर्जन से ज्यादा देशो का ‘पर्वतीय कला केन्द्र दिल्ली’ के दल के साथ भ्रमण कर उत्तराखंड की लोक विधा का प्रचार प्रसार करने मे महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर उक्त सम्मान प्राप्त करने के हकदार बने।

जगदीश ढोंडियाल द्वारा दिल्ली सहित देश के विभिन्न शहरो व कस्बो मे विभिन्न सांस्कृतिक दलों के सानिध्य में उत्तराखंड के लोकगायन व लोकसंगीत का संवर्धन कर नाम कमाया गया है।

अंचल के ग्वालदम निवासी नारायण सिंह बिष्ट गोलू, भैरव व नरसिंह जागर व धन्यायी गायन के ज्ञाता व पारंपरिक वाद्ययंत्र डौर, थाली व हुड़का वादन मे विगत कई दशकों से अपना वर्चस्व बनाऐ हुए हैं। उक्त जागर विधा का ज्ञान नारायण सिंह बिष्ट को अपने पूर्वजो से विरासत में मिला है।

‘अमृत अवार्ड-2022’ प्राप्त जुगल किशोर पैठशाली द्वारा उत्तराखंड की लोकसंस्कृति व लोककला के साथ-साथ लोक साहित्य रच कर अंचल की विलुप्त हो रही विभिन्न विधाओ व परंपराओ के संरक्षण व संवर्धन पर जो कार्य किया है, सदा सराहनीय, प्रशंसनीय व प्रेरणादायी रहा है।