क्या हरदा का दांव पडे़गा सीधा,कल दोपहर १२बजे तक करें इंतजार
उत्तराखंड में कांग्रेस के भीतर सियासी चाल चलने में माहिर खिलाडी़ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत एक बार फिर अपनी चाल में कामयाब होते दिखाई दे रहे हैं।रावत का सियासी चातुर्य इसी बात से समझा जा सकता है कि उन्होंने दिल्ली में नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर आहूत मंथन बैठक का रूख ही बदल दिया और चर्चा को ‘ब्राहमण प्रदेश अध्यक्ष ‘ पर लाकर खडा़ कर दिया। रावत ने ये दांव मिशन 2022 को दृष्टिगत रखकर खेला है। दरअसल रावत को भी मालूम है कि प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के रहते वह अपने चहेते ‘शिष्यों’ को पूर्व की भांति विधायकी का टिकट नहीं दिला पाएंगे और ऐसी स्थिति में उनके पुनः मुख्यमंत्री बनने की संभावना भी कमजोर पडे़गी।इसलिए उन्होंने जब देखा कि प्रीतम सिहं उन्हें नेता प्रतिपक्ष के पद द्वंद में स्वयं दावेदार बनकर राजनैतिक “असहाय”बनाने की कोशिश में लग जाएंगे तो इस अवसर का लाभ उठाते हुए वे लडा़ई को अध्यक्ष पद पर धकेल लाए वह भी जातीय समीकरण के साथ।रावत ने साफ कर दिया कि राजपूत नेता प्रतिपक्ष होने की दशा में ब्राहमण अध्यक्ष होना नितांत जरूरी है ।चुनावी लाभ की दृष्टि से भी और कार्यकर्ताओं के संतोष को साधने के लिए भी। यह भी तर्क इसके पीछे माना जा सकता है कि पूर्व में भी पार्टी में नेता प्रतिपक्ष और अध्यक्ष पर यही समीकरण लागू था,यहां तक बीजेपी में भी मुख्यमंत्री और अध्यक्ष को लेकर यही समीकरण काम कर रहा है। समीकरण को अलहदा रख सियासी बिसात पर सियासत के चतुर खिलंदड़ रावत की ताजातरीन सीधी चाल को समझा जाना चाहिए और वह है अपना मनमाफिक अध्यक्ष बनाना जिसका फायदा टिकट वितरण में उठाया जा सके,रावत भी जानते हैं कि नौ माह के नेता प्रतिपक्ष अपने चहेते को बनाकर वह कोई सियासी बढ़त नहीं ले पाएंगे
इसलिए आज पूरी गहमागहमी प्रदेश अध्यक्ष पर केन्द्रित रही ,रावत ने गणेश गोदियाल का नाम अध्यक्ष के लिए आगे किया है वैसे भी गोदियाल पर एक सच्चे कांग्रेसी के रूप में हाईकमान का विश्वास तब और बढा़ था जब वे अपने ‘गुरू ‘सतपाल महाराज के बीजेपी का दामन पकड़ने के बावजूद कांग्रेस में बने रहे थे। अगर गोदियाल प्रदेश अध्यक्ष बनते हैं तो क्या प्रीतम सिंह नेता प्रतिपक्ष् होंगे?अगर ऐसा हुआ तो पार्टी जातीय समीकरण तो साध लेगी लेकिन क्षेत्रीय समीकरण बिगड़ जाएगा ।तो ऐसे में क्या नेता प्रतिपक्ष कुमाऊं से होगा?अगर हां तो कौन?कुमाऊं से करन माहरा और कुंजवाल दावेदार बताए गए है,इनमें मजबूत दावेदार करन माहरा से आज प्रदेश प्रभारी ने पूछा तो उन्होंने कहा कि “जैसा पार्टी के लिए ठीक है वैसा किया जाए।यदि ब्राह्मण अध्यक्ष के फार्मूले से पार्टी को लाभ मिलने जा रहा है तो वही किया जाए ,पार्टी हित के आगे हमारी पद दावेदारी मायने नहीं रखती।”माहरा ने प्रकृत लोक न्यूज को बताया कि मंगलवार दोपहर १२बजे तक स्थिति साफ हो जाएगी। कुल मिलाकर इतना तय है कि इस सियासी मंथन से निकलने वाला “अमृत “हरदा के हाथ लगने जा रहा है।