गीत-संगीत के क्षेत्र मे अग्रणी भूमिका निभाने को आतुर नवगठित ‘पर्वतीय स्वर सरिता’ समूह

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सी एम पपनैं

नई दिल्ली। कोरोना विषाणु संक्रमण की खौफनाक लहर ने जब, लगभग हर घर, गली, मुहल्ले, गांव, नगर व महानगर मे कहर ढाया हुआ था। हो रही मौत की खबरों को सुन, हर तरफ सन्नाटा छाया हुआ था। देश के दुःख से गमगीन जनमानस को, ‘आपदा मे अवसर’ ढूढने की बात कही जा रही थी। व्याप्त इस असहनीय दुःख की घड़ी मे, उत्तराखंड पर्वतीय अंचल की, दिल्ली प्रवास मे निवासरत, वरिष्ठ संगीत अध्यापिका, किरण इष्टवाल लखेड़ा द्वारा, ‘आपदा मे अवसर’ के तहत बनी सोच के आधार पर, डिप्रेशन की ओर बढ़ते जनमानस के, नकारात्मक विचारों को, गीत-संगीत के माध्यम से विलुप्त कर, एकाग्रता की शक्ति को बढ़ा कर, उबारने की सोच के साथ-साथ, एक सु-संस्कृत समाज का निर्माण करने के लिए, एक ऐसे सांस्कृतिक व सामाजिक समूह के गठन पर मंथन किया गया, जो समाज के उत्तरोत्तर उत्थान व प्रगति के लिए, प्रयासरत रहे। उक्त समूह, गीत-संगीत के क्षेत्र मे मेहनतकस, प्रतिभाओ को, प्रतिबद्ध होकर, मंच व स्कूली शिक्षा के साथ-साथ आनलाईन शिक्षा प्रदान करने, उनका उत्थान करने, खास कर जो, आर्थिक रूप से पीछडे होने के कारणवश, बडे मंचो पर पदार्पण से वंचित रह जाते हैं, उनकी भरपूर मदद करने के साथ-साथ, हर उम्र के, उन गीत-संगीत प्रेमियों को उनके शौक पूरे करने, प्रतिभा दिखाने व ख्याति अर्जित करने हेतु, ‘पर्वतीय स्वर सरिता’ नाम से एक समूह का गठन कर, उसके बैनर तले, उत्सुक लोगों को आमन्त्रित कर, मंच प्रदान करने की ठानी।

गीत-संगीत से जुड़ा यह रोचक मसला, किरण इष्टवाल लखेड़ा द्वारा, धरातल पर उतारा गया, जब कोरोना विषाणु संक्रमण की दहशत पर अंकुश लगना आरंभ हुआ, सरकारी दिशानिर्देशों मे आयोजन की स्वीकृति प्रदान की जाने लगी।

‘पर्वतीय स्वर सरिता’ समूह का गठन कर, उक्त समूह के बैनर पर, किरण इष्टवाल लखेड़ा द्वारा, जन-जन तक संगीत विधा पहुंचे, इस उद्देश्य व चाहत के तहत, पहला गीत-संगीत कार्यक्रम का आयोजन अक्टुबर, 2021 मे, दूसरा दिसंबर 2021 तीसरा अप्रेल 2022 तथा चौथा आयोजन विगत दिनों 24 जुलाई 2022 को आयोजित किया गया। उक्त सभी आयोजन, प्रख्यात एसएसएस स्टूडियो शकरपुर दिल्ली मे, गीत-संगीत से जुडे, प्रख्यात प्रेरणा श्रोत गीत-संगीत निर्देशको, गायको व समाज के प्रबुद्ध जनो तथा पत्रकारो की उपस्थिति मे आयोजित किये गए। करीब, 150 गायक कलाकारो द्वारा, आयोजित उक्त गीत-संगीत कार्यक्रमों मे प्रतिभाग कर, अपनी गायन कला प्रतिभा की छाप छोडी गई। आयोजित कार्यक्रमो मे, मुख्यतया गायक कलाकारो द्वारा, फिल्मी सदा बहार गीतों व छुटपुट रूप से, उत्तराखंड के लोकगीतों को ही प्रमुखता दी गई।

‘पर्वतीय स्वर सरिता’ समूह संचालिका, किरण ईष्टवाल लखेड़ा द्वारा भविष्य में, गीत-संगीत की अन्य विधाओ के कलाकारों को भी, आमन्त्रित कर, आयोजन मे प्रतिभाग करवाने की योजना को कार्यरूप दिया जा रहा है। कुछ हुनरमंद व प्रतिभावान, लेकिन, अभावग्रस्त गायक कलाकारों की स्कूली शिक्षा, गायन विधा व संगीत वाद्ययंत्रों का खर्च, इस समूह द्वारा वर्तमान मे उठाया जा रहा है, जो सराहनीय है। प्रतिभावान व अभावग्रस्त कलाकारों को हर स्तर पर मदद कर, उच्च मंच प्रदान कर उनकी आकांक्षाओं व मंसूबो को निष्ठापूर्वक पूर्ण करना, इस नवगठित समूह का मुख्य उद्देश्य है।

संगीत जगत मे कुछ अद्भुत कर गुजरने की चाहत रखने वाली, किरण इष्टवाल लखेड़ा का मानना रहा है, संगीत विधा मे दिन-रात मेहनत कर ही मुकाम को हासिल किया जा सकता है। कठिन समय में संगीत, मनुष्य की एकाग्रता को बढ़ाने के साथ-साथ, नकारात्मक विचार नहीं पनपने देता है। संगीत शरीर व मष्तिष्क दोनों को लाभ व राहत प्रदान कर, शरीर को स्वस्थ व मन को शांत बनाए रखता है। भावनाओं को बढाने मे सक्षम है। संगीत के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। संगीत जीवन को सफलता की ओर अग्रसरित करता है। इस विधा को सीखने के लिए, शौक, नियमित अभ्यास और अनुशासन जरूरी है। किरण इष्टवाल लखेड़ा का मानना रहा है, संगीत विधा उनके जीवन का आशीर्वाद रहा है, क्यों कि इस विधा ने ही, उनके जीवन को सकुन प्रदान करने में, बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

‘पर्वतीय स्वर सरिता’ समूह संचालिका, किरण इष्टवाल लखेड़ा, का मायका उत्तराखण्ड, पौडी गढ़वाल के इसोटी नामक गांव व ससुराल पौडी गढ़वाल के ही, जजेडी क्वालगाड़ है। बाल्यकाल से ही, गीत-संगीत की शौकीन, किरन ईष्टवाल द्वारा, हरियाणा के एक स्कूल मे, पांचवी कक्षा में पढ़ने के दौरान, गीत-संगीत के कार्यक्रम में, पहली बार प्रतिभाग कर, स्कूल का नाम रोशन किया गया था। स्कूली शिक्षा के दौरान, शिमला व कन्याकुमारी में राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित, गीत-संगीत के कार्यक्रमों में प्रतिभाग करने का सौभाग्य प्राप्त किया था। बारहवीं की शिक्षा पूर्ण कर, इलाहाबाद प्रयाग विश्व विद्यालय से गीत-संगीत विधा की विधिवत शिक्षा ली। सीखी संगीत विधा के पहले गुरु, भारद्वाज जी (जयपुर घराना) व दूसरे गुरु मदन लाल गन्धर्व रहे। जिनके सानिध्य मे, गीत-संगीत की छ: वर्ष तक शिक्षा ग्रहण की। एक संगीत शिक्षिका के नाते, बाईस वर्ष मे हुई शादी से पूर्व, फरीदाबाद के नालंदा पब्लिक स्कूल मे संगीत अध्यापिका रही। शादी के बाद, आरसीसी पब्लिक स्कूल दिल्ली, श्रीराम इंटर नेशनल पब्लिक स्कूल गुरुग्राम, रवीन्द्र वर्ल्ड पब्लिक स्कूल गुरुग्राम तथा विद्या स्कूल गुरुग्राम में, सोलह वर्ष तक संगीत शिक्षिका के पद पर कार्यरत रही। वर्ष 2019 में पद त्याग कर, स्वतंत्र रूप से सामाजिक, सांस्कृतिक व गीत-संगीत के क्षेत्र मे कार्य करने का मन बनाया,’पर्वतीय स्वर सरिता’ समूह का गठन किया।

गीत-संगीत का वृहद ज्ञान प्राप्त, इस कर्मठ और निष्ठावान शिक्षिका द्वारा, सु-विख्यात गीतकार शंकर महादेवन के साथ हुए तीन वर्ष के टाइअप मे, करीब 175 बच्चों को दिल्ली के फिक्की सभागार व मुंबई में कार्यक्रम आयोजित करवाए। स्पीकमैके द्वारा आयोजित, गुरुकुल शिक्षा के तहत, विभिन्न गीत-संगीत विधाओं की हस्तियों, हरिप्रसाद चौरसिया, डांगर बंधु, इकबाल अहमद, गंगानी इत्यादि के सानिध्य मे दर्जनों बच्चों को, गीत-संगीत की विभिन्न विधाओ में, शिक्षा दिलवाने में मदद की।

मौलिक आवाज की धनी, उत्तराखण्ड के लोकगीत-संगीत व बोली-भाषा से असीम लगाव व पकड़ रखने वाली, किरन ईष्टवाल लखेड़ा द्वारा, घर गृहस्ती मे व्यस्त हो जाने से पूर्व, 1996 में पहली व आखिरी बार एक कैसिट में, गढ़वाली विदाई गीत- ‘जाणू चा डाडयू का पार, कि व्योली का डयोला सज्यु छो…।’ गीत गाकर अपने अनूठे गायन की छाप छोड़ने मे कामयाब रही थी। वर्ष 2015 से, बच्चों की पढाई-लिखाई व घर के कामो से थोड़ी राहत मिलने के बाद, गीत-संगीत की दुनिया मे कुछ अद्भुत कर गुजरने की चाहत में, उत्तराखण्ड की सामाजिक व सांस्कृतिक संस्थाओ के साथ समर्पण और जुनून के साथ, जुड़ने का मन बनाया। दिल्ली प्रवास मे, उत्तराखण्ड की अनेकों प्रवासी संस्थाओ से जुड कर, गीत-संगीत के कार्यक्रम मंचित किए, भव्य आयोजन करवा कर, ख्याति अर्जित की।

किरण इष्टवाल लखेड़ा द्वारा नवगठित, ‘पर्वतीय स्वर सरिता’ समूह कार्यकारणी सदस्यों मे, सुधीर बडोला, ओम प्रकाश पोखरियाल, अरूण डोभाल, प्रेम रावत तथा मीनाक्षी खंतवाल मुख्य हैं। समय-समय पर आयोजित गीत-संगीत के कार्यक्रमो मे इस नवगठित समूह को जिन प्रबुद्धजनो का सहयोग प्राप्त होता रहा है, उनमे, कैलाश ग्रुप के प्रबंध निदेशक दिनेश शर्मा, उद्योग जगत से जुडे, राकेश धस्माना, रंगमंच निर्देशक सुशीला रावत, वरिष्ठ रंगकर्मी खुशाल सिंह बिष्ट, शास्त्रीय संगीत गुरु जगदीश ढौंढियाल, उत्तराखण्डी लोकगायिका सुनीता बेलवाल भट्ट, सामाजिक कार्यकर्ता हरेन्द्र सिंह रावत, सचिदानंद शर्मा, सुनीता शर्मा, ज्योतिष विज्ञानी व आर्किटेक्ट नीरज शर्मा इत्यादि मुख्य नाम रहे हैं।

आयोजित गीत-संगीत के आयोजनों मे जिन गायक-गायिकाओं द्वारा अपना नाम रोशन किया गया है, उनमे सुनीता बेलवाल भट्ट, संतोष बडोनी, दिनेश शर्मा, राकेश धस्माना, गंगा ठाकुर, वीना ढौंढियाल, सत्यम तेजवान, सुधीर बडोला, सोनू चंदेल, मीनाक्षी खंतवाल, विमल धस्माना, दिनेश डोभाल, अंजू भंडारी, गायत्री कनवाल, मुस्कान मिश्रा, आस्था नौटियाल, निधि खंडूड़ी, सृष्टि बौंठियाल, ममता कर्नाटक, मीनू रावत, जयश्री रावत, विजय धस्माना, संजय धस्माना, सुनील सिलमाना, मुकेश देवरानी, अरुण डोभाल, ओम प्रकाश पोखरियाल राजपाल रावत, माला भारद्वाज और बेबी मीताक्षी कर्नाटक इत्यादि का नाम मुख्य रूप मे लिया जा सकता है।

गीत-संगीत के सफल व उद्देश्यपूर्ण, आयोजित कार्यक्रमों का मंच संचालन, सुमित्रा किशोर, मीनाक्षी खंतवाल ‘मीना’ तथा प्रेम रावत द्वारा, समूह संचालिका किरण इष्टवाल लखेड़ा के दिशानिर्देशों के तहत, बखूबी संचालित किया गया है।
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