ये सरकार सार्वजनिक राशन प्रणाली को खत्म करने पर तुली हैः करन माहरा
रानीखेतः-सरकार पूरे देश में सस्ता गल्ला राशन प्रणाली को ही खत्म कर देना चाहती है। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी ने दूर दराज के ग्रामीण तक सस्ता राशन मुहैया कराने और ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ने के लिए इस प्रणाली में संशोधन किया था, लेकिन सरकार ने अब चीनी, मिट्टीतेल पूरी तरह से खत्म कर दिया है। गल्ला विक्रेताओं का उत्पीड़न किया जा रहा है वह अलग। विधायक करन माहरा ने सरकार से गल्ला विक्रेताओं को कोरोना फ्रंट लाइन वर्कर मान उन्हें उनके डेढ़ साल से रुके हुए लाभांश का भुगतान करने की मांग उठाई है।विधायक यहां पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि सस्ता गल्ला विक्रेताओं का पूरी तरह से सरकार और अधिकारी उत्पीड़न कर रहे हैं। लाभांश का भुगतान नहीं किया जा रहा, फ्री अनाज वितरण का भुगतान नहीं हुआ है। अधिकारी दुकानों में पहुंच उनसे अन्य सामान नहीं बेचने की चेतावनी दे रहे हैं और चालान काट रहे हैं। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। गल्ला विक्रेताओं ने कोरोना काल में फ्रंटलाइन वर्कर की भूमिका निभाई। सरकार ने उन्हें भुला दिया। इंटरनेट का भी खर्च नहीं दिया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में बुजुर्ग विक्रेताओं को इंटरनेट संचालित करना तक नहीं आता, ऐसे में वह लोग इस प्रणाली से विमुख हो रहे हैं। कहा कि मिड डे मील का राशन विक्रेताओं ने गोदाम से उठाकर स्कूल तक पहुंचाना है, लेकिन उस धनराशि का भी उन्हें वर्षों से भुगतान नहीं हुआ है। उन्होंने सरकार से गल्ला विक्रेताओं का शोषण बंद करने की मांग की है। इस दौरान कई विक्रेताओं ने विधायक को समस्याओं से संबंधित ज्ञापन सौंपा। जिसमें महीने में विक्रेताओं को मानदेय देने, रुके हुए लाभांश का भुगतान कराने, गोदामों में धर्मकांटा लगाने सहित तमाम मांगें उठाई गई हैं।यहां ब्लाक प्रमुख हीरा रावत, विक्रेता हेमंत रौतेला, गोपाल देव सहित तमाम लोग मौजूद रहे।