भारत सरकार के स्वामित्व वाले संस्थान एन.सी.सी.एफ. के माध्यम पोषाहार राशन वितरण किये जाने से महिलाओं को स्वावलम्बी बनाने के सरकारी दावे की पोल खुली -गीता

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रानीखेत -महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष गीता पवार ने यहां एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड सरकार एक तरफ महिला सशक्तीकरण की बात करती है, महिलाओं को सशक्त एवं स्वावलंबी बनाने की बात करती है वहीं महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय से स्वरोजगार की दृष्टि से पोषाहार राशन योजना के तहत वितरित की जाने वाली राशन को अब भारत सरकार के स्वामित्व वाले संस्थान एन.सी.सी.एफ. के माध्यम से वितरित किये जाने की योजना बनाई जा रही है।


गीता पवार ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य में संचालित लगभग 10 हजार महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा वर्ष 2013 से राज्य के महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग के अधीन आंगनबाडी केन्द्रों के माध्यम से गर्भवती महिलाओं एवं 6 माह से 3 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को पौष्टिक आहार वितरण कराने का कार्य किया जा रहा है। इस योजना से प्रदेशभर के लगभग 9 लाख लोग लाभान्वित हो रहे है तथा टी.एच.आर. योजना से 2 लाख महिलायें जुडी हुई हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री द्वारा महिला स्वयं सहायता समूहों से टी.एच.आर. का कार्य छीनकर माह अप्रैल 2021 में ई-टेंडरिंग के माध्यम से बडे ठेकेदारों को यह कार्य सौंपे जाने के लिए निविदायें जारी कर दी गई थी, जिसके विरूद्ध राज्य के महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा आन्दोलन करने के साथ ही मा0 उच्च न्यायालय की शरण ली गई। 25 नवम्बर 2021 को मा0 उच्च न्यायालय द्वारा महिला स्वयं सहायता समूहों के पक्ष में निर्णय देते हुए यथा स्थिति बनाये रखने के निर्देश दिये गये जिसके बाद महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा टी.एच.आर. का भुगतान रोक कर महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रताडित किया गया।
महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष गीता पवार ने कहा कि पूर्व में कांग्रेस पार्टी द्वारा टेकहोम राशन की टेण्डर प्रक्रिया का विरोध करने पर मा0 उच्च न्यायालय द्वारा मुहर लगाते हुए टेक होम राशन की टेंडर प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी साथ ही उच्च न्यायालय ने सख्त टिप्पणी करते हुए सरकार से जवाब मांगा था कि आखिर स्वयं सहायता समूह को इस टेंडर प्रक्रिया से दूर रखने की साजिश क्यों की गई। उन्होंने कहा कि 2021 में करीब 40,000 से ज्यादा महिलाओं के स्वरोजगार पर इस टेंडर प्रणाली के चलते खतरा मंडरा रहा था परन्तु हाईकोर्ट के आदेश से स्वयं सहायता समूह को थोड़ी राहत मिली थी। इसके उपरान्त नवम्बर 2022 में राज्य सरकार द्वारा इस योजना को यह कहते हुए बंद कर दिया गया कि भारत सरकार के आदेशों का पालन किया गया है।
गीता पवार ने कहा कि अब एक बार फिर से राज्य सरकार द्वारा बिना टेंडर प्रक्रिया अपनाये हुए 250 करोड़ का ठेका भारत सरकार की एजेंसी एन.सी.सी.एफ. को देने के लिए मंत्रिमण्डल में प्रस्ताव पास करने की योजना बनाई है। जबकि इसी कार्य के लिए दो अन्य संस्थानों क्रमशः नैफेड एवं केन्द्रीय भंडारण से भी आवेदन मांगे गये थे परन्तु विचार केवल एनसीसीएफ को टेंडर देने पर हुआ है। यह भी ज्ञातव्य हो कि उत्तराखण्ड के अलावा अन्य राज्यों में नैफेड द्वारा स्थानीय स्वयं सहायता समूहों के साथ मिलकर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट हो गया है कि भाजपा सरकार की महिलाओं को सशक्त एवं स्वावलंबी बनाने की बात महज एक दिखावा है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने अन्य राज्यों की भांति महिला स्वयं सहायता समूहों का सहयोग नहीं लिया गया तो महिला कांग्रेस राज्य सरकार की इस महिला विरोधी नीतियों के विरोध में पूरे राज्य में आन्दोलन करेगी।

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कार्यक्रम में पूर्व ब्लॉक् प्रमुख रचना रावत, महिला नगर अध्यक्ष नेहा साह माहरा, नगर अध्यक्ष उमेश भट्ट, चिलियानौला अध्यक्ष कमलेश बोरा, पूर्व जिलाध्यक्ष महेश आर्या, एस०सी० महिला अध्यक्ष कंचन आर्या, सुरेन्द्र पवार, हिमानी आर्या, आदि उपस्थित थे।

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