राज्य स्थापना के उद्देश्यों तक पहुँचने के लिए राज्य में नए सामाजिक जागरण और आंदोलनों की सख़्त दरकार : तिवारी
रानीखेत: विधि आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष और राज्य आंदोलनकारी , दिनेश तिवारी एडवोकेट ने प्रदेशवासियों को राज्य स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कहा है कि राज्य में राज्यस्थापना के वास्तविक उद्देश्यों तक पहुँचने के लिए राज्य में नए सामाजिक जागरण और आंदोलनों की सख़्त दरकार है . कहा कि राज्य अपनी स्थापना के मूल उद्देश्यों को हासिल करने में निरंतर पिछड़ता जा रहा है . कहा कि प्रदेश सरकार के पहाड़ विरोधी नज़रिए और फ़ैसलों ने पहाड़ों से मैदानों की ओर पलायन की रफ़्तार को पहले से अधिक तेज़ कर दिया है . कहा कि पहाड़ों में रोज़गार पैदा कर सकने की विफलता ने गाँव ख़ाली हो रहे हैं और प्रदेश सरकार लोगों को पहाड़ में रोक पाने में असफल साबित हो रही है . कहा कि राज्य की स्थायी राजधानी का फ़ैसला ‘ फ़ुटबाल’ बना हुआ है और सरकार इस पर कोई निर्णय लेने की स्थिति में नहीं है . कहा कि यह दुर्भाग्य बना हुआ है कि एक पहाड़ी राज्य की राजधानी पहाड़ में नहीं है . और अपने ही राज्य में पहाड़ हाशिए पर है . कहा कि यह पहाड़ के साथ क्रूर मज़ाक़ है कि उसकी ग्रीष्म क़ालीन राजधानी में कोई सत्र आयोजित होता ही नहीं और शीतकालीन सत्र ग़ैरसेन में आयोजित होने की सम्भावना मात्र से सरकार और विधायक , मंत्रियों को कंपकंपी छूट रही है .उन्होंने सरकार से माँग की कि वह ग़ैरसेन के स्टेट्स पर स्थिति स्पष्ट करें कि सरकार की नज़र में ग़ैरसेन है क्या ? कहा कि अगर ग़ैरसेन प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी है तो फिर ग्रीष्मकालीन सत्र वहाँ आयोजित क्यों नहीं हुआ ? आरोप लगाया कि अब प्रदेश की स्थायी हाईकोर्ट को पहाड़ों से मैदानों में शिफ़्ट करने की तैयारी हो रही है । कहा कि इस से पहले आइ आइ एम को पहाड़ों से छीनकर काशीपुर शिफ़्ट किया गया और अब एम्स को किछा में स्थापित करने की तैयारी चल रही है . कहा कि राज्य की राजनीति में मैदानों का प्रभुत्व बेतहाशा बढ़ गया है और आरोप लगाया कि इसी कारण समकालीन सरकारें लगातार पहाड़ विरोधी फ़ैसले ले रही हैं ।