कुछ दलाल किस्म के संगठन पैंशनर्स को कर रहे है गुमराह,भ्रामक विकल्पपत्र भरने का बना रहे दबाव:- तुला सिंह

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भिकियासैंणः उत्तराखंड गवर्नमेंट पैशनर्स संगठन, रामगंगा के अध्यक्ष तुला सिंह तड़ियाल ने कहा है कि, कुछ दलाल किस्म के संगठन सरकार के साथ मिलकर पैंशनर्स को गुमराह करने का काम कर रहे हैं वे पैंशनर्स पर सरकार द्वारा जारी भ्रामक विकल्प पत्र भरने के लिए दबाव बना रहे हैं।
उन्होंने कहा सरकार द्वारा जारी तथाकथित विकल्प पत्र में कुछ भी विकल्प नहीं दिया गया है मसलन जो ‘ना’ में विकल्प देंगे उन्हें पूर्व से चल रही चिकित्सा प्रतिपूर्ति की सुविधा मिलेगी अथवा नहीं ? एक ओर सरकार प्रधानमंत्री जन स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत आम लोगों को पांच लाख रुपए तक की स्वास्थ्य योजना मुफ्त में मुहइय्या करा रही है वहीं दूसरी ओर साठ साल तक सरकार में अपनी सेवा देने वाले पैंशनर्स को इस लाभ से भी वंचित रखने का षड्यंत्र कर रही है। उन्होंनेे कहा तथाकथित संगठनों के नेताओं के मंसूबों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की एक ओर तो विकल्प पत्र नहीं देने का फरमान जारी करते है वहीं दूसरी ओर पैंशनर्स पर विकल्प पत्र देने का दबाव बना रहे हैं। श्री तड़ियाल ने कहा ऐसे संगठन से सचेत रहने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा उनका संगठन पैंशनर्स की जायज़ मांगों को लेकर 25 अगस्त, 2021 से 27 दिसंबर 2021 तक भिकियासैंण तहसील मुख्यालय पर जबरदस्त आन्दोलन चलाने में कामयाब रहा है। उनके आंदोलन के समर्थन में प्रदेशभर से सभी पैंशनर्स आंदोलित हुए इस दौरान पैंशनर्स के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ कई बार अनेक विधायकों, मंत्रियों के अलावा मा0 मुख्यमंत्री को भी मिले परन्तु ढांक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ हुई । कुछ दलाल संगठनों की मुखविरी के कारण सरकार ने सीनियर सिटीजन के आन्दोलन को कोई तवज्जो नहीं दी। आखिरकार चार माह के बड़े आन्दोलन के बाद संगठन को माननीय न्यायालय की शरण लेनी पड़ी। माननीय न्यायालय द्वारा एक जनहित याचिका गणपत सिंह बिष्ट बनाम राज्य सरकार में 15 दिसंबर 2021को स्थगन आदेश पारित कर दिया वहीं तुला सिंह तड़ियाल एवं अन्य बनाम राज्य सरकार वाली याचिका में 21, दिसंबर 2021 को पुनः स्थगन आदेश पारित कर दिया माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दो-दो स्थगन आदेश पारित हो जाने के बाद सरकार को दिसंबर 2021 में ही पैंशन से कटौती बन्द करनी पड़ी माननीय न्यायालय ने सरकार द्वारा की जा रही कटौती को संविधान की धारा 300ए का स्पष्ट उलंघन बताया मा0 न्यायालय ने अपनी नाराज़गी व्यक्त करते हुए कहा कि, योजना शुरू करने से पहले आपने पैंशनर्स से सहमति लेना भी उचित नहीं समझा जिसके बाद ही आनन-फानन मेंं 07 जनवरी, 2022 को उत्तराखंड शासन के संयुक्त सचिव की ओर से एक भ्रामक विकल्प पत्र मांगा गया जिसमें सम्बन्धित पैंशनर्स के नाम पते के अलावा कुछ भी नहीं था केवल अन्तिम बिन्दु में हां अथवा ना में पैंशनर्स को अपनी सहमति देनी थी। श्री तड़ियाल ने हैरानी व्यक्त करते हुए कहा कि, 1944 में ब्रिटिश सरकार ने अपने कर्मचारियों के हित में जिस स्वास्थ्य योजना को शुरू किया आज़ाद भारत में हमारे विधि निर्माताओं ने भी इस कल्याणकारी योजना को संविधानिक दर्जा देकर बदस्तूर जारी रखा आज पूरे देश में उत्तराखंड ही एक ऐसा राज्य है जिसने इस कल्याणकारी योजना को पलक झपकते ही बंद कर दिया। और कहने के लिए सीजीएचएस के पैटर्न पर गोल्डन कार्ड नाम की एक योजना लाद दी गई। जिसका अस्तित्व सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गया। तड़ियाल ने आगे कहा इस योजना के पशन्द व नापशन्द का अंदाजा राज्य स्वास्थ प्राधिकरण की 4 अप्रैल को हुई बैठक में जारी आंकड़ों से सहज ही लगाया जा सकता है। सरकार के लाख प्रयत्नों के बाद भी उक्त तिथि तक कुल 3031 लोगों ने योजना में सम्मिलित नहीं होने का विकल्प दिया है और 7444 लोगों ने योजना में बने रहने का विकल्प दिया है जबकि 1,12557 लोगों ने कोई विकल्प पत्र नहीं दिया है वे पूर्व से जारी चिकित्सा प्रतिपूर्ति की सुविधा को और अधिक सरलीकृत करते हुए जारी रखने के पक्षधर हैं। उन्होंने कहा सरकार कुछ तथाकथित संगठन के दलाल नेताओं के साथ मिलकर पैंशनर्स के आन्दोलन को कमजोर करने का प्रयास कर रहीं हैं तथा पैंशनर्स पर अनावश्यक दबाव बना रही हैं । उन्होंने सभी पैंशनर्स संगठनों से अपील की है कि वे सरकार के मंसूबों को कामयाब नही होने दें जब तक सरकार हमारी न्यायोचित मांग को नही मानती तब तक कोई विकल्प न दें तथा एकजुट होकर अन्याय के खिलाफ संघर्ष करें।